जैन जागृति, मासिक पत्रिका का ‘अर्ध शताब्दी’ वर्ष मनाया जा रहा है। जैन दर्शन के त्याग, वैराग्य एवं वीतरागता की गाथाओं को जन साधारण तक सामान्य भाषा में पहुँचाया जा रहा है। विविध लेखकों के द्वारा रचित रचनाओं को एक साथ, एक ही पुस्तिका के माध्यम से, प्रतिमाह परिवार में, हिंदी एवं मराठी भाषा में, संस्कारित करने का पुरुषार्थ पिछले पचास वर्षों से हो रहा है। आपका उत्तम संपादन, पर्युषण, दीपावली आदि विशेषांक पठनीय होते है। आपकी उत्तम धर्म प्रभावना एवं संस्कार कार्यक्रम के लिए हार्दिक साधुवाद। संस्थापक स्व. कांतिलालजी चोरड़िया एवं श्री संजयजी चोरड़िया श्रीमती सुनंदाजी चोरड़िया को हार्दिक साधुवाद। आप ऐसे ही धर्म प्रभावना मंें अपने जीवन के क्षणों का उपयोग करें। यही हार्दिक मंगल भावना।
साहित्य प्रेरणास्त्रोत है, ज्ञान का सागर है पुरुषार्थ का प्रबोधक है, आत्मशुध्दि एवं विचारशुध्दि का आत्मीय सहयोगी है । परममित्र है, मार्गदर्शक है । अतीत को जीवित रखनेवाली, भविष्य के स्वप्न सजानेवाला तथा वर्तमान को समर्थ बनानेवाला है साहित्य । अत: भगवान और गुरु के साथ साहित्य भी पूजा गया है । अत: हमारे आचार्यों ने अपनी भावना को शब्दायित किया है –
“शास्त्राभ्यासो जिनपतिनुति, संगति सर्वदाऽर्यै: ।”
“श्रुते भक्ति: श्रुते भक्ति:, श्रुते भक्ति: सदाऽस्तु मे ।”
हजारों वर्ष पूर्व की प्राचीन परम्परा है हमारी । महामनीषियों ने अपना जीवन श्रुतसाधना को समर्पित कर दिया था । धर्म, दर्शन, विज्ञान, कला, न्याय-नीति, व्यवसाय आदि कोई विषय ऐसा नहीं है जो उनके तलस्पर्शी मौलिक चिन्तन से अछूता रह गया हो । इसलिए मनुष्य जाति इतनी ज्ञान समृध्द है ।
साहित्य स्रष्टा तो अपनी साधना में गहरे उतरे है, निमग्न रहे हैं । प्रकाशक है धन्यभागी कि जिन्होंने मानव जाति के लिए वरदान स्वरुप उस अमृतनिधि को प्रकाश में लाया है । प्रकाशकों की रत्नमाला के आप भी बहुमूल्य रत्न हो, अभिनन्दन है आपका और आपकी श्रुत सेवाओं का मैं जानती हूँ यह आसान नहीं है, कि प्रतिमाह 50 वर्ष से आप “जैन जागृति” पत्रिका का प्रकाशन कर रहे हैं और ‘जैन जागृति’ के माध्यम से जागरण का कार्य कर रहे हैं । आपकी साधना की फलश्रुति है कि यह यशस्वी यात्रा सम्पन्न हुई है । मुझे हार्दिक प्रसन्नता है – “सर्वजन सुखाय सर्वजन हिताय” आपके प्रकाशन ने प्रसिध्दी पाई है । आपने सभी प्रकार के जिज्ञासुओं की भावना को सम्मान देते हुए जिज्ञासा का समाधान करनेवाली सामग्री, प्रकाशन की सुन्दरता के साथ उन तक पहुँचाई है ।
वीरायतन एक नयी दृष्टि एक नया विचार है । फिर भी स्व. श्री. कांतीलालजीने और तदनन्तर आप दोनों ने बहुत ही प्रेम एवं सम्मान के साथ राष्ट्रसंत पूज्य गुरुदेव उपाध्याय अमरमुनिजी महाराज के ज्ञान गर्भित विचारों को मेरे लेखों को तथा वीरायतन योजना एवं जनहित में सम्पन्न कार्यों की जानकारी समय-समय पर स्वप्रेरणा से प्रकाशित किया है । जन चेतना के जागरण की दिशा में आप प्रयत्नशील रहे । उत्तरोत्तर सफलता प्राप्त हो । मेरे आशीर्वाद सदैव आपके साथ है ।
पत्रकारिता तथा प्रकाशन समाज के उत्कर्ष के माध्यम है । समाज की प्रगति के द्योतक हैं । तथापि पत्रकारिता में समाज के साथ जुड़कर के सकारात्मक विचारधारा के साथ काम करना आज के युग में चुनौती बन गया है । अपने प्रकाशन की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार की नकारात्मक बातों को प्रचारित करने आदि जैसे हथकंडे अपनाये जाते हैं । इनसे दूर रहकर आपने पत्रिका के माध्यम से समाज के संगठन, उत्कर्ष को लक्ष्य में रखकर सामग्री का प्रकाशन यह एक कठिनतम कार्य है । इस सन्दर्भ में “जैन जागृति” ने एक आदर्श मानदंड स्थापित किया है । विगत पचास वर्षों से निरन्तर अपनी पत्रिका के विशेष उच्च स्तर को बनाये रखा है । यह वरिष्ठ पत्रकार, सुश्रावक श्री. कांतीलालजी चोरडिया के सूझबूझ तथा सैध्दान्तिक अधिष्ठान का सुपरिणाम है ।
श्री. संजयजी और उनकी सहधर्मिणी सौ. सुनंदाजी इस पत्रकारिता रुप समाज सेवा की विरासत को समर्थरुप से आगे बढ़ा रहे है । आज के डिजिटल मिडिया के विस्तारशील युग में प्रिंट मिडिया को भी समाज के अधिकतम परिवारों तक पहुँचाने के लिए आप संकल्पबध्द है । साथ ही सही समय पर, निर्धारित तिथि पर अंक (पत्रिका) प्रकाशित करके उसे डाक में भेज देना यह एक विशिष्ट पहचान “जैन जागृति” ने बनाई है ।
“जैन जागृति” नाम को आपने सार्थक बनाया है जैनत्व को केन्द्र में रखकर । जैन विधि हो, जैन इतिहास हो, जैन तीर्थ हो या जैन परिवार की विशेष घटना, उपलब्धि हो जैन जागृति ने उसी को हमेशा प्राथमिकता दी हैं । विज्ञापनों में भी एक स्तर का सदैव ध्यान रखा है । ऐसे
अनेक विशेषताओं से युक्त जैन जागृति के अर्धशताब्दी के अवसर पर हार्दिक बधाई । आपका यह उपक्रम भविष्य में अधिकाधिक समाज सेवा में सफल बनें यही मंगल कामना ।
धर्मानुरागी संजयभाई । हार्दिक धर्मलाभ !
देव-गुरू कृपा से आनंद है । ‘जैन जागृति’ प्रतिमास मिलता है । श्वे. जैन संघ में कई हिन्दी मासिक, साप्ताहिक निकलते है । परंतु कइयों में तो सिर्फ सामाजिक समाचारों की ही बहुलता होती है। उनमें धार्मिकता नहीं होती है जब कि जैन-जागृति में प्रतिमास वैराग्य प्रेरक धार्मिक अध्यात्मिक व संस्कार पोषक लेख भी होते है जो समाज के नैतिक स्तर को ऊपर उठाने में खूब सहायक बनते है ।
जैन जागृति मासिक अपने प्रकाशन के 50 वे वर्ष में प्रवेश कर रहा है यह बहुत आनंददायी घटना है।
आपका मासिक प्रगतिके पथ पर खूब आगे बढ़े और समाज को सही दिशा बताने में सक्षम बने इसी शुभ कामना के साथ
सुश्रावक संजयभाई चोरडिया, धर्मलाभ !
परमात्मा की कृपा से हम सभी सुखसाता में है ।
जैनजागृति अंक सुवर्ण वर्ष में प्रवेश कर रहा है, यह खुशी की बात है । मोबाईल, वॉटस्अॅप, फेसबुक, इन्टरनेट, यु ट्यूब जैसे सोशल मिडिया के इस जमाने में बहुत सारे मेगझिन, पत्रिका बंद होने जा रही है, या ऑक्सिजन पे चलती है, तब भी जैन जागृति प्रतिमास भरपुर सामग्री के साथ प्रकाशित होता है, यह अपने आपमें बडी बात है । एकवीसवी सदी भोग/सुख/विलास की है । ऐसे समय में धर्म, संस्कार एवं वैराग्य के लेखोंसे जैन जागृति अंक आनेवाले समय में और समृद्ध बने यही मंगल कामना ।
‘जैन जागृति’ मासिक पत्रिका का यह वर्ष (2019) स्वर्ण जयन्ति वर्ष में गतिमान है । किसी पत्रिका का निराबाध 50 वर्ष निरन्तरता से पूर्ण होना, अपने आप में अभिनंदनीय है । पत्रिका की 50 वर्षीय संपूर्ति आपके पिताश्री एवं आपकी कुशल प्रबंधन एवं सम्पादन की विशिष्ट
फलश्रुति है । आपकी तीव्र लगनशीलता एवं समर्पणता द्वारा पाठकवर्ग इस पत्रिका से बंधा रहा और निरन्तर पाठकवर्ग जुड़ता जा रहा है।
पत्रिका में सभी प्रकार के लेख यथा धार्मिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, आर्थिक, गृहसंसारिक आदि प्रकाशित होते है । जिसके कारण सभी प्रकार के रुचिवाले पाठक इस पत्रिका को अपनी पत्रिका मानते है । यही आपकी जैन जागृति की विशेषता है ।
‘साहित्य व समाज सदा जागृत रहे’ आपकी यह विशिष्ट विचारधारा निरन्तर गतिशील रहे यही सद्भावना । जैन जागृति भविष्य में भी शताब्दी वर्षोंतक पाठक वर्ग को अध्ययनादि में सहयोगी बनी रहे यह मंगलभावना।
श्री. संजयजी चोरडिया सौ. सुनंदा चोरडिया सादर धर्म संदेश.
यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि स्व. श्री. कांतीलालजी सा चोरडिया द्वारा स्थापित ‘जैन जागृति’ पत्रिका अपने 50 वर्ष पूरे करने जा रही है। पत्रिका द्वारा महाराष्ट्र एवं संपूर्ण जैन समाज में रचनात्मक कार्यों का संदेश देते हुए धर्म एवं संस्कारों के बीजारोपण हेतु एक सेतु का कार्य किया है। जिससे समाज में एक नव चेतना का संचार हुआ है। 50 वर्षों से निरंतर – निर्बांध रुप से पत्रिका का संचालन एवं प्रकाशन समाज को प्रबोधन देते हुए स्व. श्री. कांतीलालजी सा एवम् चोरडिया परिवार की समाज को यह एक महत्वपूर्ण देन एवं उपलब्धि है। उनका गहन अनुभव, चिंतन तथा वास्तविकता के साथ तथ्यों की गुणवत्ता से परिपूर्ण यह पत्रिका सम्पूर्ण जैन समाज को गौरवान्वित कर रही है।
मुझे ज्ञात है कि जब महाराष्ट्र से कोई जैन पत्रिका का प्रकाशन नहीं होता था ऐसे समय जब संसाधनों की भी कमी हुआ करती थी उस समय लगाए गए इस छोटे पौधे ने आज 50 वर्षो में विशाल वटवृक्ष का रुप धारण कर लिया है। वर्तमान में महाराष्ट्र में जैन समाज में शायद ही ऐसा कोई परिवार हो जहाँ जैन जागृति नहीं जाती हो, यह कहने में कोई अतिशोयक्ती नहीं होगी कि जैन जागृति के बिना हर जैन परिवार अधूरा सा है। लोगों को बडी उत्सुकता से इस पत्रिका का इंतजार रहता है।
निरंतर 50 वर्षों से प्रकाशित जैन जागृति ने सम्प्रदाय से परे संगठनात्मक स्वरुप का संदेश देते हुए जैन धर्म के संदेशों को जन-जन तक प्रचारित करने का कार्य किया है। मैं आपके इन कार्यों की प्रशंसा एवं अनुमोदना करता हूँ। साथ ही आशा करता हूँ कि जैन जागृति जन-जन
की जागृति बने, जिनशासन की प्रभावना में अभिवृद्धि करे. आप निरंतर भविष्य में भी नए आयाम स्थापित करते जाए तथा जन-जन में धर्म चेतना और सुसंस्कारों की जागृति लाने में उपयोगी सिध्द हो। यही हार्दिक मंगल कामना…
जैन जागृति पत्रिका 50 वें वर्ष में प्रवेश कर रही है । यह हार्दिक प्रसन्नता का विषय है। श्री. कांतीलालजी चोरडिया आचार्य भगवंत पू गुरूदेव श्री आनंदऋषिजी म.सा. की सेवा में आए थे । साथ में चंद्रभानजी डाकलिया भी थे । उस समय “जैन जागृति” प्रकाशन के लिये उन्होंने गुरूदेव से आशीर्वाद माँगा था कि, मराठी भाषा में हमारे समाज की कोई पत्रिका नहीं है । मैं शिक्षक की नोकरी छोड़कर इस पत्रिका का प्रकाशन करना चाहता हूँ । आचार्य भगवंत ने कहा – पत्रिका निकाल रहे हो, अच्छा है किन्तु इसके लिए श्रम लेना पडेगा । एक बार प्रारंभ की है, तो उसे चलाने के लिए अच्छा प्रयास करो । इसमें किसी का खंडन-मंडन न हो । किसी की बुराई, कमी को मत निकालना।
जैन जागृति का 50 वें वर्ष में पदार्पण के लिए हार्दीक मंगल कामना । यह मासिक अबाल वृद्ध के लिए प्रेरणादायक बने । इसकी कीर्ति चारों ओर फैलें, ऐसी हमारी ओरसे मंगल कामना ।
जैन जागृति की पचासवी स्वर्णजयंती के पावन प्रसंग पर, जैन जागृति परिवार के प्रत्येक सदस्य को हार्दिक हार्दिक बधाइयाँ एवं मंगलकामनायें हैं ।
किसीभी व्यक्ति या वस्तुका, सफल एवं सार्थक 50 वर्ष व्यतीत हो जाना अविस्मरणीय ऐतिहासिक प्रसंग हो जाता है । सो जैन जागृति मासिक ने अपना स्वर्णिम इतिहास स्थापित कर लिया है, यह हार्दिक प्रसन्नता का विषय है ।
50 वर्ष पूर्व कर्मठ, सुश्रावक समाजहित चिंतक, श्रीमान कांतिलालजी चोरडिया ने जैन जागृति पत्रिका को समाज सेवा में समर्पित किया । उनकी कर्मठता एवं कर्तव्य के कारण मासिक पत्रिका की समाज सेवा यात्रा अबाध गति से चलती रही कि अब उसकी 50 वी वर्षगाठ सम्पन्न हो रही है । श्रीमान संजय चोरडिया तथा सौ. सुनंदा चोरडिया ने पूज्य पिताश्रीजी के करकमलों द्वारा संचलित जैन जागृति को इस कदर अपनापन दिया की बडी ही सफलता के साथ मासिक पत्रिका की विकास यात्रा उत्तरोत्तर शिखर की ओर आगे बढती गयी। आज इस पत्रिका की लोकप्रियता से पूरा जैन समाज गौरवान्वित हो रहा है । इस मौके पर सागर चोरडिया एवं सौ. प्राचि चोरडिया को बधाइयाँ एवं मंगलकामनायें देना अति आवश्यक है कि जिन होनहार बच्चों ने अपनी अद्भूत प्रतिभा से अपने माँ, बाप, दादा दादी सबको नयी पहचान दी है एवं पूरे जैन समाज के गौरव को अपनी विशेष प्रतिभा से चार चाँद लगाया है ।
श्रध्दाशील, श्री. संजयजी
महात्मा गांधी ने एक बार कहा था, ‘साहित्य वह है, जिसे चरस खींचता हुआ किसान भी समझ सके और खूब पढ़ा लिखा इंसान भी ।’
‘जैन जागृति’ मासिक पत्रिका को मैं इस रुप में देखता हूँ । जैन पत्रिकाओं की परंपरा में यह सबसे पहली पत्रिका है । इसने शुरुआत से जन जागरण का अच्छा कार्य किया । प्रसिध्द विचारक एवं लेखकों के विचारों से सामान्य जनमानस का परिचय कराया । मुझे स्मरण होता है, आपके पिताजी श्री. कांतिलालजी का जिन्होंने इस क्षेत्र में कदम रखकर आपको यह विरासत दी है । आप भी इस विरासत को आगे बढ़ाने का भरसक प्रयास कर रहे हो ।
वर्तमान में तो जैन जागृति समाज की बहुप्रिय पत्रिका है । इसमें आगम-वाणी, संत-वाणी, सुविख्यात वक्ता, विचारकों के साथ युवा-महिला आदि सबके विचारों को स्थान दिया है । जैन समाज के बच्चें, युवा, कन्याएँ आदि जिन-जिन क्षेत्रों में श्रेष्ठता हासिल करते हैं, उनका अभिनंदन करके आप उनके लिए प्रोत्साहन का कार्य करते हैं । इससे उनका, परिवार का तथा समाज एवं धर्म का गौरव बढ़ता है ।
हल्के-फुल्के चुटकुलों से लेकर कविताऍं, गीत, कहानियाँ, प्रवचन, धारावाहिक, समाज की समस्याएँ एवं उपलब्धियाँ ऐसे विविधताओं से सुसज्जित ‘जैन जागृति’ का स्वागत समाज के हर स्तर पर होता हुआ दिखाई देता है । इसकी माँग निरंतर बढ़ती जा रही है । यह वर्ष पत्रिका का स्वर्णिम वर्ष है । इतने लंबे समय तक आपने पाठकों को अच्छा पाथ्य प्रदान किया है, तभी पाठकों की संख्या बढ़ती जा रही है । आपके इस सफलता पर आप का अभिनंदन करते हुए आगामी क्षणों के लिए मंगल कामना करते हैं ।
धर्मस्नेही, सततोत्साही, श्री. संजुभाऊ
अत्र विराजीता, आत्मलक्ष्यी, साध्वीरत्ना पू. श्री. किरणप्रभाजी म.सा. एवं समस्त साध्वी समुह की ओरसे सस्नेह धर्म सन्देश सह हार्दिक बधाई !
“जैन जागृति’ अर्थात इन्सान की दुनिया में आगमन से लेकर विदाई तक, जिंदगी के हर मोड से जुडकर सभी से आत्मिय अनुबंध तैयार करनेवाली एक सर्वप्रिय मासिक पत्रिका । हमें अच्छी तरह याद है, शुरुआती दौर में इसमें ‘स्वर्ग-नरक’ के रुप में एक ही परिस्थिति में अलग-अलग मन:स्थिति से होनेवाले जीवन निर्माण के सूत्र दिख जाते थे जो उसका दिलचस्प अंश था ।
अपनी आगे बढती हुई दीर्घयात्रा में कई रुपों में ढलती हुई यह पत्रिका अब अपनी विकास यात्रा के बडे सुन्दर मोडपर है, जहाँ धार्मिक, सामाजिक, पारिवारिक, व्यक्तिगत, मानसिक, व्यावहारिक आदि विविध आयाम दृष्टिगोचर हो रहे है और उम्र के हर पडाव पर रहा हुआ व्यक्ति उसके पहुँचने की प्रतीक्षा कर रहा है ।
पत्रिका के इस स्वर्णिम युग में आपका अभिनंदन करते हुए हमें प्रसन्नता हो रही है कि श्री. कांतीलालजी को अपनी वैचारिक विरासत को अगे बढानेवाले सुपुत्र प्राप्त हुए, आपके रुप में उन्हें विचारों और भावनाओं को संजोने और प्रगति करानेवाले सुपुत्र मिले है । हम मंगलकामना करते है कि आपकी यह धारा अखंड रुप से आगे प्रवाहित होती रहे । समाज का विश्वास और प्रेम आपको सदा मिलता रहे ।
सबसे पहले मैं आपके सौभाग्य की सराहना करता हूँ जिसकी वजह से अतिश्रेष्ठ ‘जैन कुल’ मिला। जैन कुल में भी आपको स्व. कांतीलालजी चोरड़िया तथा स्व. चंचलबाई चोरड़िया का ‘गृहांगन’ मिला । जिसकी बदौलत आपको सुन्दर संस्कार, आत्मीय व्यवहार तथा साहित्य- सृजन की अद्भुत विरासत मिली । जिसका नाम है ‘जैन-जागृति’ मासिक पत्रिका!
इस पत्रिका के माध्यम से लगातार पिछले 50 पचास वर्षों से, पहले आपके पिताश्रीजी ने तथा अब आप दोनों पति-पत्नी ‘जिन-शासन’ की जो महती प्रभावना कर रहे हैं । इसके लिए ‘जैन- जागृति’ मिशन से जुड़ी हर धड़कनों को ‘अनुमोदना’ देता हूँ ।
15 अगस्त 1969, स्वतंत्रता दिवस (राष्ट्रीय पर्व) की पावन बेला में ‘जैन-जागृति’ के रूपमें जो ‘आत्म-जागरण’ साधार्मिक आन्दोलन प्रारम्भ हुआ तथा जिसे ‘गोल्डन-ज्युबिली’ (स्वर्ण जयन्ती) के रूप में सन 2019 में मनाया जा रहा है । इस सत्पुरुषार्थ के लिए ‘चोरड़िया-परिवार’ को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ बधाई देता हूँ।
‘जैन-जागृति’ के प्रकाशक तथा हजारों ‘पाठकों’ की ‘निरन्तरता तथा आपकी ‘ज्ञानार्जना’ को साधुवाद देता हूँ।’ ‘जैन-जागृति’ की ‘पाठ्य-सामग्री’ सदैव ज्ञानवर्धक व प्रेरणास्पद होने की वजह से ‘लोकप्रियता’ के नये आयाम को छू रही है ! अगले पचास वर्षों में पत्रिका मनचाही प्रगति के साथ ‘शताब्दी-वर्ष’ में प्रवेश करे ऐसी हार्दिक मंगलकामना करता हूँ। आपका
जैन जागृति हे माझे आवडते मासिक आहे. 1969 पासून या मासिकाशी माझे भावनिक संबंध जुळलेले आहेत. श्रीमान कांतीलालजी चोरडियांनी जैन इतिहासातील मौलिक कथांचा सुबक मराठी अनुवाद करून छापायला सुरूवात केली. तो काळ आठवला की, खूप बरे वाटते. जैन समाजातील सर्व घडामोडी हातात मासिक घेतल्यानंतर पट्कन समजतात. हा विरंगुळा खरोखर आनंददायी असतो. कांतीलालजी चोरडिया यांनी या मासिकाची पायाभरणी इतकी व्यवस्थित केली आहे की, आजतागायत ते मासिक जसेच्या तसे ताजे वाटते. आणि याचे श्रेय चि. संजयकुमार चोरडिया यांस आहे. वडिलांची परंपरा जोपासण्याचे कष्टसाध्य काम चि. संजय अत्त्याधिक उल्हासित होऊन जेव्हा करतो तेव्हा उत्स्फूर्तपणे म्हणावेसे वाटते की, ‘सुपुत्र असावा तर असा’ हे मासिक ज्या ज्या जैनांच्या घरी जात नसेल ते जैन कुठेतरी अधुरेपणाचा अनुभव घेत असतील. या मासिकाची अंक संख्या भरपूर वाढावी. याचे लालित्य, साहित्य रसपूर्ण प्रवाही व प्रासादिक असावे हेच आशिर्वाद प्रेषित करीत आहे.
स्वर्ण जयंती समारोह एक प्रकार का ब्रेकिंग सेलिब्रेशन माना जा सकता है। यहाँ पर रुककर, खडे होकर, पीछे मुड़कर देखा जा सकता है तथा अपनी उपलब्धियों पर गर्व किया जा सकता है। आनेवाले कल को कल को देखने के लिए नई ऊर्जा, नये सपने, नई सोच के साथ चलने की कल्पना की जा सकती है। इसमें जोश व उत्साह को रिफिल करने की बात की जा सकती है। सेकंड, मिनट, घंटों, दिनों, वर्षों और दर्शकों के साथ बहुत कुछ परिवर्तित हो जाता है। अदृश्य समय के ऊपर अपना निशान छोडकर मील के पत्थर के रुप में इन पलों को रास्ते में ठोककर ऐतिहासिक यादगार बनाता जाता है। जीवन को रंगो से भरकर उसे एक पर्व में परिवर्तित कर देता है। जाति धर्म संप्रदाय अर्थ सब मौन हो जाता है। भूतकाल को, पृष्ठभूमि से उठाकर वर्तमान को सामने लाकर खड़ा करने में कामयाबी हासिल करता है।
ऐसा ही मासिक है “जैन जागृति”। जब हम बहुत छोटे थे तब बेंगलोर में सांसारिक पिताश्री बंसीलालजी धोका (चर्होलीवाले) जैन जागृति में छपा हुआ भजन पढ़कर गुनगुनाते थे। त्रिशला मातेचा उदीर आला… जो जो रे बाळा जो। आज भी हमें यह गीत भावनात्मक आवेगों से भर देता है। सचमुच आज देखते ही देखते “जैन जागृति” मासिक अपनी यात्रा के 50 वर्ष का पड़ाव पार कर चुका है।
श्रीमान स्व. कांतिलालजी संजयजी सुनंदाजी चोरड़िया परिवार की तहदिल से धन्यवाद। अभिनंदन। हर्ष हर्ष। जय-जय है। उन्होंने बखूबी जैन जागृति को जन जागृति बनाकर लोगों को जागरूक किया है। आगे भी यह जन जागृति का बिगुल बजाती जाएँ। इन्ही भावों सह, शुभाकांक्षीणी,
जैन जागृति गत 50 वर्ष से नियमित रुपसे प्रकाशित होनेवाले मासिक सुवर्ण महोत्सव अंक प्रकाशित करने जा रहे है यह सुनकर बहुत खुशी हो रही है ।
महाराष्ट्र में शहर तथा छोटे बडे गाँव के जैन समाज के लोगों के पास ये मासिक पहुँचता है, इस मासिक में धार्मिक, सामाजिक, व्यापारी, आरोग्य एवं गृहउपयोगी लेख प्रकाशित किए जाते है ।
जैन समाज के सब संप्रदाय की बडी न्यूज एवं सुसंस्कार व सदाचार का पुरस्कार करनेवाला साहित्य इसमें प्रकाशित किया जाता है ।
जैन जागृति मासिक सुवर्ण महोत्सव अंक के लिए मैं शुभाशिर्वाद देता हूँ और आप समाज के प्रती जो काम कर रहे है उसके लिए बधाई देता हूँ ! आपका स्नेह वृध्दींगत होवो !
आपका “जैनजागृति” मासिक जो व्यक्ती नियमीत पढता है उसके जीवनमें पॉझीटीव्ह विचारसरणी से अच्छा परिवर्तन आ सकता है। इस सामाजिक परिवर्तन में आपका योगदान महत्वपूर्ण है।
आपके मासिक के सफल घोडदौड के लिए आपको शुभेच्छा और अभिनंदन। आपका शुभेच्छुक